आखिर क्या था कंडेला कांड?

Apr 11, 2025
आखिर क्या था कंडेला कांड?

हरियाणा के इतिहास में वर्ष 2002 एक ऐसा मोड़ था, जब गांवों की आवाज़ सड़कों तक पहुंची और कई महीनों तक थमी नहीं। बिजली बिलों को लेकर शुरू हुआ यह आंदोलन कंडेला गांव से उठा, लेकिन इसकी गूंज पूरे राज्य में महसूस की गई।

वादा और विवाद की शुरुआत

2000 में हरियाणा की सत्ता में बदलाव हुआ। ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने। चुनाव के दौरान बिजली बिलों को लेकर राहत का आश्वासन दिया गया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद बिल वसूली को लेकर प्रशासन का रुख सख्त हो गया। यही से असहमति की शुरुआत हुई।

गांवों में बात फैलने लगी कि जो वादा किया गया था, उसका पालन नहीं हो रहा। इस असंतोष ने धीरे-धीरे आंदोलन का रूप लेना शुरू कर दिया।

कंडेला बना केंद्र बिंदु

जींद जिले का कंडेला गांव इस आंदोलन का केंद्र बना। यहां किसानों ने सामूहिक निर्णय लिया कि कोई भी बिजली का बिल जमा नहीं करेगा। यदि बिजली विभाग के अधिकारी कनेक्शन काटने आते हैं, तो उनका विरोध किया जाएगा।

इसके जवाब में सरकार ने सख्त कदम उठाए—कंडेला और आसपास के पांच गांवों की बिजली सप्लाई मुख्य पावर हाउस से बंद कर दी गई। इसके बाद विरोध तेज हो गया और सड़कें जाम की जाने लगीं।

घटनाएं जो आंदोलन का चेहरा बनीं

कंडेला में टकराव की स्थिति बनी, और बाद में नजदीकी गांवों नगूरां और गुलकनी में फायरिंग की घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं में आठ किसानों की जान गई। इसके बाद आंदोलन और अधिक संगठित और व्यापक हो गया। कुछ जगहों पर अधिकारियों को रोका गया, कई दिनों तक सड़कें बंद रहीं।

कंडेला गांव लगभग दो महीने तक सुर्खियों में रहा। यह गांव एक प्रतीक बन गया—उन लोगों का जो अपनी मांगों को लेकर डटे रहे, और जिन्होंने एकजुटता दिखाई।

एक सांड की अनोखी भूमिका

इस आंदोलन की चर्चा एक अनोखी घटना के बिना अधूरी है—एक सांड की। यह सांड आंदोलन के दौरान अक्सर पुलिस को देखकर आक्रामक हो जाता था और कई बार पुलिस को पीछे हटना पड़ता था। लोगों ने इसे एक संकेत के रूप में लिया, और बाद में उसकी याद में गांव में एक मंदिर भी बना।

राजनीतिक और सामाजिक असर

इस आंदोलन का असर इतना था कि उसके बाद लंबे समय तक कंडेला गांव का ज़िक्र अलग नज़र से किया जाने लगा। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी ओमप्रकाश चौटाला कभी कंडेला गांव के रास्ते से नहीं गुज़रे। आंदोलन ने केवल बिजली बिलों तक सीमित नहीं रहकर प्रशासनिक कार्यशैली, वादों और जवाबदेही जैसे सवालों को भी सामने रखा।


एक नज़र में

  • स्थान: कंडेला गांव, जिला जींद, हरियाणा

  • वर्ष: 2002

  • मुख्य मुद्दा: बिजली बिल माफी

  • परिणाम: आंदोलन, सड़क जाम, गोलीकांड, जन हानि

  • यादगार घटना: सांड की भूमिका और मंदिर निर्माण


कंडेला आंदोलन को एकतरफा घटना के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह उस समय के सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक माहौल की एक जटिल तस्वीर है। इसमें गांवों की सामूहिक शक्ति भी दिखती है और राज्य व नागरिक के बीच के संवाद की चुनौती भी।

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